Uttarakhand Chamoli Rudra Nath Temple : दुनिया का अनोखा मंदिर, जहां भगवान शंकर के मुख की पूजा️

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  • रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में है स्थित
  • देश-विदेश से दर्शन करने के लिए यहां आते हैं श्रद्धालु



प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ


देश-दुनिया में भगवान शंकर के बहुत से मंदिर स्थापित हैं जहां भोलेनाथ अनोखे अंदाज़ में विराजमान हैं। इन्हीं में से एक है पंच केदार में शामिल रुद्रनाथ मंदिर जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। भगवान शंकर का यह मंदिर समुद्रतल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां भगवान शिव के मुख का पूजन होता है। इतना ही नहीं, इससे भी खास बात यह है कि भगवान शिव के बाकि के शरीर की पूजा नेपाल के काठमांडू में की जाती है। यही कारण है कि यह मंदिर न केवल देश, बल्कि विदेश में अपनी खासियत के कारण ही प्रसिद्धि प्राप्त किए हुए है। दूर-दराज से लोग दर्शन के लिए यहां आते हैं।



इस रुद्रनाथ मंदिर को पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। चूंकि रुद्रनाथ मंदिर अन्य मंदिरों से अलग है, इसलिए दूर दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। देश-दुनिया में जहां शिव जी के लिंग रूप की पूजा होती है, वहीं इस मंदिर में शिवजी के मुख की पूजा होती है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव के मुख को ‘नीलकंठ महादेव’ के नाम से जाना जाता है।


पंचकेदार में शामिल रुदनाथ मंदिर


कथाओं की मानें तो महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने श्रीकृष्ण के पास जाकर उनसे इसका उपाय जानना चाहा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को भगवान शंकर की शरण में जाने की सलाह दी। ऐसी कथा है कि क्योंकि पांडवों ने अपने ही कुल का नाश किया था। इसलिए भगवान शिव पांडवों से नाराज थे। जब पांडव वाराणसी पहुंचे तो भगवान शिव गुप्तकाशी में आकर छिप गए, जब पांडव गुप्तकाशी पहुंचे तो भोलेनाथ केदारनाथ पहुंच गए और बैल का रूप धारण कर लिया। कहा जाता है यहां पांडवों ने भगवान शिव से आर्शीवाद प्राप्त किया था।


आए जानें कैसे बना पंचकेदार


मान्यता प्रचलित हैं कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए तो उनके धड़ का ऊपरी हिस्सा काठमाण्डू में प्रकट हुआ, जिसे पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाता है। वहीं, भगवान शिव की भुजाओं का तुंगनाथ में, नाभि का मध्यमाहेश्वर में, बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप का श्री केदारनाथ में पूजन होता है। इसके अलावा कहा जाता है भगवान शिव की जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुई और मुख रुद्रनाथ में। इन्हीं पांच स्थानों को पंचकेदार कहा जाता है। इन्हीं में से एक है रुद्रनाथ मंदिर।


दुर्लभ पाषाण मूर्ति के होते हैं दर्शन


रुद्रनाथ मंदिर के पास ही विशाल प्राकृतिक गुफा में बने मंदिर में भगवान शिव की दुर्लभ पाषाण मूर्ति के दर्शन होते हैं। जिसमें भगवान शिव गर्दन टेढ़ी किए हुए अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। लोक मत है कि देवों के देव महादेव की यह दुर्लभ मूर्ति स्वयंभू है। आज तक इसकी गहराई का कोई पता नहीं लग सका है।

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