Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग एवं व्रत-त्योहार (06 मई, 2021)

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दिनांक 06 मई 2021, दिन - गुरुवार

विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : उत्तरायण


ऋतु : ग्रीष्म


मास : वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - चैत्र)


पक्ष : कृष्ण


तिथि : दशमी दोपहर 02:10 बजे  तक तत्पश्चात एकादशी


नक्षत्र : शतभिषा सुबह 10:32 बजे  तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद


योग : इन्द्र शाम 07:22 बजे  तक तत्पश्चात वैधृति


राहुकाल : दोपहर 02:13 बजे से शाम 03:51 बजे तक


सूर्योदय : सुबह  06:06 बजे 


सूर्यास्त : शाम 19:04 बजे 


दिशाशूल : दक्षिण दिशा में


पंचक


1 जून रात्रि 3.57 बजे से 5 जून रात्रि 11.27 बजे तक

28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक

व्रत पर्व विवरण 


एकादशी


07 मई, शुक्रवार : वरुथिनी एकादशी

23 मई, रविवार  : मोहिनी एकादशी

06 जून, रविवार : अपरा एकादशी

21 जून, सोमवार : निर्जला एकादशी


प्रदोष


08 मई : शनि प्रदोष


24 मई : सोम प्रदोष व्रत


07 जून : सोम प्रदोष व्रत


22 जून : भौम प्रदोष


अमावस्या


 11 मई, मंगलवार वैशाख अमावस्या


 10 जून, बृहस्पतिवार : ज्येष्ठ अमावस्या


पूर्णिमा


26 मई, बुधवार : बुद्ध पूर्णिमा


विशेष  

शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से गुरुवार के व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। इसे 16 गुरुवार तक रखना होता है।


गुरु दोष को दूर करने के लिए आप गुरुवार के दिन नहाने के पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें। इसके साथ ही साथ नहाते वक्त "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप " अवश्य करें।


एकादशी व्रत के लाभ


06 मई 2021 गुरुवार को दोपहर 02:11 से 07 मई, शुक्रवार को शाम 03:32 तक एकादशी है।


विशेष - 07 मई, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान कोई पुण्य नहीं है।

जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। 

एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि ने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। 

भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।

          

एकादशी के दिन करने योग्य

एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें  ...विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l


एकादशी के दिन ये सावधानी रहे


महीने में 15-15 दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए।


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