Good News : दिव्यांगता नहीं आई आड़े, डॉट्स प्रोवाइडर बन टीबी से दिला रहीं मुक्ति


प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


दिव्यांग माधुरी ने देश से टीबी को मिटाने की ठानी रखी है। डॉट्स प्रोवाइडर बन कई टीबी रोगियों को टीबी से मुक्ति दिलाने में अहम रोल निभा चुकी हैं। अब तक बड़ी संख्या में लोगों को दवाएं मुहैया कराकर उन्हें स्वस्थ बना चुकी हैं। समय-समय पर जांच एवं इलाज की निगरानी का नतीजा उनकी सफलता की कहानी गढ़ रहा है।


पिता की मौत के बाद माधुरी पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा था। घर की छत से गिरी तो रीढ़ की हड्डी टूट गई, जिससे दिव्यांग हो गयीं। घर के हालात सुधारने के लिए उनके पड़ोसी ने उन्हें स्टाफ नर्स बनने के लिए प्रेरित किया। उसके बाद कमलापत मेमोरियल चिकित्सालय में डॉट्स प्रोवाइडर के रूप में जिम्मेदारी मिली। उसके बाद माधुरी ने क्षयरोग की गंभीरता और उसके इलाज के बारे में जानकारी ली। उसके बाद से आमजन को टीबी से मुक्ति दिलाने की ठान ली। माधुरी अब तक बड़ी संख्या में लोगों को टीबी के संक्रमण से मुक्ति दिला चुकी हैं।


माधुरी ऐसे बनीं डॉट्स प्रोवाइडर


कानपुर के हूलागंज की रहने वाली माधुरी वर्ष 2004 से डॉट्स प्रोवाइडर के रूप में काम कर रही हैं। उनके घर पर मां और दो भाई हैं। उनके मोहल्ले में ही एक परिवार के पांच सदस्यों को टीबी का संक्रमण हो गया था। उन्होंने महसूस किया कि मोहल्ले लोगों ने उस परिवार को उपेक्षित कर दिया। उनके यहां जाना-आना दूर बात करना भी छोड़ दिया था। ऐसे में जब उन्हें डॉट्स प्रोवाइडर के रूप में कार्य करने का मौका मिला तो तत्काल हाँ कर दी। वह बताती हैं यहाँ ज्यादातर टीबी के मरीज़ मजदूर वर्ग के हैं। सुबह जल्दी काम के लिए निकल जाते हैं। इस वजह से वह सुबह छह बजे उठ कर लोगों के पास जा कर दवाई देती हैं। जिन मरीजों से फ़ोन पर संपर्क होता है तो उनसे एक हफ्ता पहले ही संपर्क कर लेती हैं। दवाई खत्म होने से पहले ही दवा उपलब्ध कराती हैं।


कई किशोरियाें को टीबी का संक्रमण


माधुरी बताती हैं कि कई किशोरियाें को टीबी का संक्रमण हो गया था। उनकी वह नियमित देख-रेख करती थीं। अक्सर उनके परिवार वालों को अपनी पहचान बताने में आपत्ति रहती थी। उन्हें डर रहता था कि यदि उनकी बेटियों के टीबी मरीज़ होने की बात लोगों में पहुंची तो शादी नहीं होगी। उनके वैवाहिक जीवन में टीबी का असर न पड़े। इसलिए माधुरी ने परिवार वालों का भरोसा जीता और बिना पहचान बताये किशोरियों का इलाज पूरा करवाया। आज उन्हें टीबी से मुक्ति मिल गई है। अब तक माधुरी ने करीब 75 मरीजों को टीबी से मुक्ति दिला चुकी हैं।


जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एपी मिश्रा ने बताया जिले में जनवरी 2020 से अब तक कुल 18,958 टीबी रोगी नोटिफाई किए जा चुके हैं। इलाज की सफलता दर 80 फीसदी रही है। वर्ष 2020 में कुल 5474 टीबी रोगियों को निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की रकम उनके खाते में भेजी जा चुकी है। जिले में सभी डॉट्स प्रोवाइडर अच्छा कार्य कर रहे हैं। अलग-अलग श्रेणी के टीबी मरीजों को दवा खिलाने के एवज में डॉट्स प्रोवाइडर को शासन की तरफ से प्रोत्साहन राशि मिलती है। छह माह का कोर्स कराने पर एक हज़ार रुपये और एमडीआर टीबी के मरीजों को दवा खिलाने पर डॉट्स प्रोवाइडर को पांच हजार रुपये मिलते हैं।

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