Dharm Adhyatm - आज का पंचांग और व्रत-त्योहार

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दिनांक 25 फरवरी 2021,        दिन - गुरुवार


विक्रम संवत - 2077, शक संवत - 1942


अयन - उत्तरायण, ऋतु - वसंत


माघ मास, शुक्ल पक्ष


तिथि - त्रयोदशी शाम 05:18 बजे तक तत्पश्चात चतुर्दशी


नक्षत्र - पुष्य दोपहर 01:17 बजे तक तत्पश्चात अश्लेशा


योग - शोभन 26 फरवरी रात्रि 01:08 बजे तक तत्पश्चात अतिगण्ड


राहुकाल - दोपहर 02:19 बजे से शाम 03:47 बजे तक


सूर्योदय - 07:03 बजे, सूर्यास्त - 18:40 बजे

 

दिशाशूल - दक्षिण दिशा में


व्रत पर्व विवरण 


गुरुपुष्पामृत योग (सूर्योदय से दोपहर 01:17 बजे तक)


 विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाना मना होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

              


पुष्य नक्षत्र योग


25 फरवरी 2021 गुरुवार को सूर्योदय से दोपहर 01:17 तक गुरुपुष्यामृत योग है।


108 मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है। उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये। ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले :-


ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :।.... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :।

               


गुरुपुष्यामृत योग


शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: ।’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है।


इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)

              

माघ मास के महत्त्वपूर्ण 3 दिन


पूरे माघ मास के पुण्यों की प्राप्ति सिर्फ तीन दिन में माघ मास में त्रयोदशी से पूनम तक के तीन दिन (25, 26 और 27 फरवरी 2021) गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को अत्यंत पुण्यदायी तिथियाँ हैं।


माघ मास में सभी दिन अगर कोई स्नान ना कर पाए तो त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे माघ मास के स्नान के पुण्यो की प्राप्ति होती है।


सकाम भावना से माघ महीने का स्नान करने वाले को मनोवांछित फल प्राप्त होता है लेकिन निष्काम भाव से कुछ नहीं चाहिए खाली भागवत प्रसन्नता, भागवत प्राप्ति के लिए माघ का स्नान करता है, तो उसको भगवत प्राप्ति में भी बहुत-बहुत आसानी होती है।


‘पद्म पुराण’ के उत्तर खण्ड में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानमात्र से होती है।


इन तीन दिन विष्णु सहस्रनाम पाठ और गीता का पाठ भी अत्यंत प्रभावशाली और पुण्यदायी है।


माघ मास का इतना प्रभाव है की सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं।


पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पालने से जो फल मिलता है माघ मास में 3 दिन स्नान करने से वो मिल जाता है। 

माघ मास प्रात:स्नान सब कुछ देता है:- आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है।


अतः माघ मास की त्रयोदश ( 25 फरवरी, गुरुवार ) चौदस ( 26 फरवरी, शुक्रवार ) पूर्णिमा (27 फरवरी, शनिवार ) को सूर्योदय से पूर्व स्नान ,विष्णु सहस्रनाम और श्रीमद भागवत गीता का पाठ विशेषतः करें और लाभ लें।


पंचक

11 मार्च प्रात: 9.19 बजे से 16 मार्च प्रात: 4.45 बजे तक

7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक


व्रत और त्योहार


09 मार्च : विजया एकादशी 

25 मार्च : आमलकी एकादशी 



10 मार्च : प्रदोष व्रत


26 मार्च : प्रदोष व्रत


27 फरवरी : माघ पूर्णिमा 

 

28 मार्च : फाल्गुन पूर्णिमा


13 मार्च : फाल्गुनी अमावस्या

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