फाइटर विमान राफेल की पहली महिला पायलट शिवांगी

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, वाराणसी

बनारस की बेटी शिवांगी ने इतिहास रचा है। खासतौर से सेना में जहां खुद को साबित करना कठिन होता है, वहां शिवांगी राफेल की पायलट टीम में चुनी गईं। 
                                                                                सच्ची लगन और लगातार प्रयास हो तो लक्ष्य को प्राप्त करना कोई असंभव बात नहीं ,यह बात शिवांगी ने सिद्ध कर दी ।देश के सबसे ताकतवर फाइटर विमान राफेल स्क्वाड्रन गोल्डन एरो के लिए  विशेषज्ञ  पायलट चयनित करने के लिए वायु सेना की ओर से प्रशिक्षण में  शिवांगी को शामिल किया गया।
शिवांगी के प्रशिक्षण के बाद चयन होने की जब जानकारी मिली तब उसके माता पिता तो खुशी के मारे फूले नहीं समाए और रात भर नींद नहीं आई। उनके कथनानुसार उसको बचपन से ही चिड़ियों  की तरह उड़ने की ख्वाहिश थी। बेटी की इतनी बड़ी सफलता को लफ्जों में बयां नहीं कर पा रहे थे।

फुलवरिया गांव में रहने वाली शिवांगी ने यह कारनामा अंजाम दिया। वायु सेना में फाइटर विमान उड़ाने का सपना पाला और अथक परिश्रम कर उसको पाने के लिए कोशिश की और एक इतिहास रच दिया।

पिता कुमारेश्वर सिंह ने बताया कि मंगलवार शाम को बेटी के चयन की जानकारी मिली। बताया गया कि उनकी बेटी देश की पहली और इकलौती पायलट है। जो वायु सेना के बेड़े में शामिल हुई। राफेल के गोल्डेन ऐरा की टीम में शामिल हुई  शिवांगी वायु सेना का फाइटर विमान मिग -21 बाइसन उड़ाती हैं। वह राफेल के लिए अंबाला में तकनीकी प्रशिक्षण ले रही थीं।  

 फुलवरिया  रेलवे क्रासिंग के निकट तीन दशक पुराने मकान में शिवांगी अपने परिवार के साथ रहती हैं सारा परिवार उनकी इस बड़ी उपलब्धि की खुशियां मनाने में लगा हुआ है उनके पड़ोसी भी उनकी इस सफलता से बहुत पसंद है और परिवार के साथ हलवा खा कर खुशियां मनाने में लगे हुए हैं। गांव के हर युवा के लिए वह एक रोनक प्रेरणा स्रोत से बन गई है ।

एयरफोर्स म्यूजियम में गई और तय किया जीवन का लक्ष्य

शिवांगी के नाना  कर्नल वीएलसी सिंह सेवानिवृत्ति के बाद नई दिल्ली में रहने लगे। वहां अक्सर शिवांगी अपने मां बाप भाई के साथ जाती थी। तभी से अपने जीवन का लक्ष्य एयर फोर्स में जाना तय किया है।

शिवांगी की मां सीमा सिंह बताती है की हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान पिताजी नई दिल्ली में बच्चों को एयरफोर्स का म्यूजियम दिखाने गए। वहां एयर फोर्स के विमान और वायु सैनिकों की ड्रेस देखकर शिवांगी रोमांचित हो गई। वही नाना से बोली की उसे भी वायु सेना में जाना है। ऐसी ही ड्रेस पहनी है और फाइटर विमान भी उड़ाना है। इसके बाद से उन्होंने अपना लक्ष्य बना लिया।

मां का त्याग

मां सीमा सिंह दिल्ली से स्नातक किया। शादी के बाद वाराणसी आ गई थी। और स्नातकोत्तर के बाद बीएड की पढ़ाई पूरी की।  2007 में उनका चयन सरकारी शिक्षिका के रूप में हुआ। बच्चे पढ़ रहे थे। और नौकरी करने पर बच्चों की परवरिश में कठिनाई आएगी इसको सोचते हुए उन्होंने नौकरी नहीं की। पिता कुमारेश्वर सिंह ने बच्चों की सभी इक्छा को पूरा किया और पढ़ाई में किसी तरह की कमी नहीं आने दी।

मेधावी रहीं शिवांगी

शिवांगी पढ़ाई और खेल में भी अव्वल रहीं। आठवीं तक की पढ़ाई कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज से की। इंटर तक की पढ़ाई शिवपुर स्थित सेंट जोजर्स कॉन्वेंट स्कूल से पास की। विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और 89 फीसदी अंक अर्जित कीं। सनबीम वुमेंस कॉलेज भगवानपुर से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 68 फीसदी अंक पाये थे। बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही एनसीसी ज्वाइन की। 

शिवांगी खेल में भी आगे रहती थी। स्कूल के लिए नेशनल स्तर तक की प्रतियोगिता में लिया है।  जैवलिन थ्रो मे उन्होंने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।

मात्र  3 साल की उपलब्धि

साल 2015 में उन्होंने वायु सेना की परीक्षा पास की। इसके बाद डेढ़ साल तक प्रशिक्षण चला। प्रशिक्षण के बाद दूसरे बैच में साल 2017 में उन्हें देश की पांच महिला फाइटर विमान की पायलटों में चुना गया। अब तीसरे साल ही शिवांगी की काबीलियत देखते हुए उन्हें राफेल की टीम में चुना गया।


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