कोरोना आपदा का लाभ उठाता एक निजी पैथोलॉजी लैब-उत्तर प्रदेश

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  • टेस्ट  प्राइवेट लैब में  पाजिटिव, सरकारी लैब अस्पताल में नेगेटिव

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो
उत्तर प्रदेश ही नहीं देशभर में कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। इस दौर में एक तरफ जहां चिकित्सक भगवान का रूप बनकर सामने आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कोविड महामारी के नाम पर कुछ अस्पताल धडल्ले से अपना गोरखधंधा चला रहे हैं। और आपदा को अपने लिए अवसर में बदल रहे हैं।

यूपी के एक बड़े पैथोलॉजी लैब में  कोरोना नेगेटिव को पॉजिटिव बताने एक बड़ा खेल पकड़ा गया।कानपुर की नामी ज्ञान पैथालॉजी लैब में कोरोना नेगेटिव की पाॅजिटिव रिपोर्ट बताई। इस लैब से पाॅजिटिव बताए गए 30 लोगों  की जांच जब सरकारी अस्पताल में की गई तो रिपोर्ट नेगेटिव मिली। 

20 सितंबर को सील की गई थी लैब

जानकारी के अनुसार- 20 सितंबर को डीएम आलोक तिवारी और सीएमओ डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने एक मरीज की शिकायत पर स्वरूप नगर स्थित ज्ञान पैथालॉजी लैब पर छापा मारा था। लैब की शिकायत एक मरीज ने की थी, जिसे युगांडा जाना था। उसने लैब में जांच कराई और उसे पॉजिटिव रिपोर्ट मिली। उसने दूसरी लैब में भी जांच कराई थी, जहां वह नेगेटिव निकला। उसे कोई लक्षण भी नहीं था। उसने लैब की शिकायत की।

जब डीएम खुद जांच करने पहुंचे तो पता चला कि वहां कई मरीजों के नाम-पते और मोबाइल नम्बर गलत दर्ज हैं। डीएम आलोक तिवारी ने कहा कि गलत रिपोर्ट देना, पॉजिटिव मरीजों के पूरे एड्रेस न  लिखना, ज्यादा पैसा लेना जैसी शिकायतें सही मिलीं तो लैब सील कर दी गई थी। 

एडीएम सिटी की निगरानी में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई, जिसमें दो एसीएमओ शामिल किए गए थे। जांच कमेटी ने विस्तृत पड़ताल की है। 

जांच में 20 सितम्बर से तीन दिन पूर्व की  सभी कोरोना जांचों के रिकार्ड लिए गए। कमेटी ने उन सभी मरीजों की दोबारा जांच की है। उसी जांच में 30 पॉजिटिव मरीज निगेटिव मिले हैं। अभी 12 की रिपोर्ट आनी बाकी है।

रिपोर्ट में हुआ भ्रष्टाचार के इस खेल का खुलासा, केस दर्ज करने के निर्देश
आलोक तिवारी, डीएम, कानपुर कहते हैं कि ज्ञान पैथोलॉजी ने जिन 30 लोगों को कोरोना पाजिटिव बताया था, उनके दोबारा सैम्पल लिए गए। आरटीपीसीआर जांच कराई गई। सभी नेगेटिव मिले। संभव है कि दो-तीन ऐसे मरीज हों, जो स्वस्थ हो गए हों। पर पूरे 30 पाजिटिव छह दिन में निगेटिव नहीं हो सकते। सीएमओ को  मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

वहीं डॉ. अरुण कुमार, संचालक, ज्ञान पैथोलॉजी का कहना है कि तीन दिन में पॉजिटिव मरीज नेगेटिव हो जाते हैं। जांच रिपोर्ट आईसीएमआर की गाइडलाइन से मरीजों को दी जा रही है। जिस तरह दोबारा मरीजों की क्रास जांच की गई है, उसमें मानकों का पालन हुआ या नहीं, यह हम नहीं कह सकते हैं। फिर भी हम मानने को तैयार हैं कि डाटा फीडिंग में गड़बड़ी हो सकती है। रिपोर्ट में किसी तरह त्रुटि की गुंजाइश नहीं है।







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