Uttar Pradesh: मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार की बड़ी पहल

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यूपी में मखाना उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की तैयारी



उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने की मखाना विकास योजना की शुरुआत, पूर्वांचल को मिलेगा विशेष लाभ

प्रेसवार्ता में जानकारी देते मंत्री दिनेश सिंह।



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ 



मखाना विकास योजना प्रदेश के किसानों को उच्च मूल्य वाली फसलों से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि करने का माध्यम बनेगी। यह योजना प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के गठन के उपरान्त प्रथम चरण में 10 राज्यों में योजना लागू की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। यह बातें सोमवार को उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने अपने आवास में प्रेसवार्ता के दौरान कहीं। इस अवसर पर उन्होंने मखाना विकास योजना के शुभारम्भ की घोषणा की। इसका क्रियान्वयन उद्यान विभाग द्वारा किया जाएगा।


प्रेसवार्ता में बोलते उद्यान मंत्री दिनेश सिंह।



उद्यान मंत्री ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तैयार की गई कार्ययोजना को केंद्र सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। वित्तीय वर्ष में सीमित समय शेष होने के बावजूद केंद्र सरकार ने 158 लाख रुपये की धनराशि क्रियान्वयन के लिए स्वीकृत की है। इस धनराशि से मखाना की खेती के लिए तालाबों का चयन एवं निर्माण, किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, बायर-सेलर मीट, मखाना पवेलियन के माध्यम से प्रचार-प्रसार, निर्यातकों की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में भागीदारी तथा जिले व राज्य स्तरीय सेमिनार संचालित किए जाएंगे। साथ ही सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मखाना की स्थापना की की जाएगी।


मंत्री सिंह ने कहा कि मखाना अपने औषधीय गुणों और उच्च बाजार मूल्य के कारण सुपरफूड के रूप में लोकप्रिय है। अब तक इसकी खेती बिहार में ही होती थी, परंतु उत्तर प्रदेश की जलवायु और जलभराव वाले क्षेत्र मखाना उत्पादन के लिए अनुकूल हैं। पूर्वांचल के कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, बलिया, महाराजगंज, वाराणसी और बस्ती जिले मखाना उत्पादन की दृष्टि से उपयुक्त माने जाते हैं। जहां सिंघाड़े की खेती संभव है, वहां मखाना उत्पादन भी सफल रहेगा। अगले वित्तीय वर्ष से विभाग मखाना की खेती के क्षेत्र का विस्तार, गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री का उत्पादन तथा प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन गतिविधियों को व्यापक स्तर पर प्रारम्भ करेगा।



आलू निकासी की दी जानकारी 


प्रेसवार्ता के दौरान मंत्री सिंह ने आलू निकासी की स्थिति पर भी कहा कि उद्यान विभाग पूर्णतः पारदर्शी ढंग से कार्य कर रहा है। इस वर्ष की निकासी दर 99.35 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष की 99.31 प्रतिशत से अधिक है। 15 दिसम्बर तक शत-प्रतिशत निकासी पूरी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू से संबंधित किसी प्रकार की समस्या नहीं है। विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। विभाग द्वारा प्रत्येक जिले की निकासी का विस्तृत विवरण भी उपलब्ध कराया जाएगा। ताकि यह सुनिश्चित रहे कि किसानों की उपज का कहीं भी दुरुपयोग न हो।

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