कानपुर पीजीआई के डॉक्टरों ने प्रोस्टेट कैंसर का आपरेशन कर पीड़ित मरीजों में जगाई उम्मीद
![]() |
| सर्जिकल टीम के साथ प्राचार्य प्रो संजय काला। |
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
गणेश शंकर विद्यार्थी सुपर स्पेशियलिटी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (जीएसवीएसएस पीजीआई) यानी जो कानपुर पीजीआई के नाम से मशहूर है। यहां प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर के इलाज की सुविधा उपलब्ध हो गई है। यहां के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित मरीज का आपरेशन कर इस समस्या से पीड़ित मरीजों में नई उम्मीद जगाई है। अब पीड़ित मरीजों को अपने शहर में ही इलाज मुहैया होगा, उन्हें लखनऊ, दिल्ली और मुंबई के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इस सफलता पर सर्जिकल टीम को प्राचार्य प्रो. संजय काला एवं नोडल अफसर प्रो. मनीष सिंह ने बधाई दी है।
![]() |
| प्रेसवार्ता में जानकारी देते डॉ. अनिल जे वैद्य। |
जीएसवीएसएस पीजीआई के यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल जे वैद्य, डॉ. मयंक गुप्ता और डॉ. राकेश गुप्ता व उनकी टीम ने दूरबीन विधि से 74 वर्षीय मरीज राम दयाल का प्रोस्टेट कैंसर का आपरेशन किया। उनकी सर्जरी करीब चार घंटे तक चली।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित सीएसआर रूम में आयोजित प्रेसवार्ता में डॉ. अनिल जे वैद्य ने बताया कि 74 वर्षीय मरीज राम दयाल लगभग डेढ़ वर्ष से मूत्र प्रवाह में कमी और बार-बार मूत्र त्याग के लिए जाने व अवरोध की समस्या से पीड़ित थे। उनके अस्पताल आने पर पहले लक्षण के आधार पर पहले चिकित्सकीय मूल्यांकन और फिर सभी जरूरी पैथोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल जांच कराईं। प्रोस्टेट कैंसर (CA Prostate) की पुष्टि होने पर मरीज की सर्जरी लैप्रोस्कोपिक रैडिकल प्रोस्टेक्टॉमी विद लिम्फ नोड रिसेक्शन तथा यूरेथ्रल रिपेयर के माध्यम से की गई। ऑपरेशन लगभग 4 घंटे चला। मरीज को एक यूनिट खून भी चढ़ाया गया।
शहर में ऐसी पहली सर्जरी
डॉ. वैद्य ने बताया कि कानपुर में इस प्रकार की पहली सर्जरी की गई, जो संस्थान के लिए गर्व की बात है। उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर और साधारण प्रोस्टेट के बारे में जानकारी देते हुए लोगों को जागरूक किया ताकि वह बीमारी गंभीर होने से पहले ही डॉक्टर के पास जाकर सही सलाह लें। ताकि वह भविष्य में बीमारी की जटिलताओं से बच सकें। डॉ. अनिल जे वैद्य ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर और नार्मल प्रोस्टेट के लक्षण समान ही होते हैं। वर्तमान समय में हर माह औसतन 45 मरीज ओपीडी में आते हैं। उनका कहना है कि अगर मरीज बीमारी की शुरूआत में आ जाए तो उसे बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है।
ये हैं प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
पेशाब का रूक-रूक कर आना।
पेशाब की थैली में पत्थरी का होना।
ऐसे में इंफेक्शन भी हो सकता है।
पोस्टेड फेसफिक एंटीजन (पीएसए) का लेवल 4 से अधिक हो तो यूरोलाजिस्ट को दिखाएं।
रोबोटिक सर्जरी होगी आसान
यूरोलाजिस्ट डॉ. अनिल जे वैद्य ने बताया कि आने वाले समय में रोबोटिक सर्जरी सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी। प्रोस्टेट ग्रंथी शरीर के सबसे निचले भाग में होती है, जहां सर्जरी कर टांके लगाने में बहुत ही दिक्कत होती है। इसलिए भविष्य में रोबोटिक सर्जरी मददगार साबित होगी।
सर्जिकल टीम में ये रहे शामिल
सर्जरी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो संजय काला के निर्देशन में की गई। सर्जिकल टीम में जूनियर रेजीडेंट तृतीय वर्ष डॉ. आलोक यादव व डॉ. सुमित सिंह, जूनियर रेजीडेंट प्रथम वर्ष डॉ. क़ाफिलुर रहमान व तथा डॉ. दिशा गुलाटी की टीम रही। वहीं, एनेस्थीसिया टीम में डॉ. नेहा, डॉ. सानिका, डॉ. शिवांगी एवं डॉ. रक्षिता शामिल रहीं। ऑपरेशन थिएटर में सहयोग सिस्टर सुषमा का रहा।




if you have any doubt,pl let me know