आईएमए की वर्कशॉप में साइबर सुरक्षा, डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी, फेक कॉल, डेटा प्राइवेसी एवं सोशल मीडिया प्रोफेशनलिज़्म पर चर्चा
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| आईएमए की वर्कशॉप का शुभारंभ करते पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल, आईएमए अध्यक्ष डॉ. अनुराग मेहरोत्रा, सचिव डॉ. शालिनी मोहन, साथ में डीसीपी मुख्यालय एसएम कासिम आबिदी व अन्य। |
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा चिकित्सकों के लिए महत्वपूर्ण वर्कशॉप का आयोजन आईएमए ऑडिटोरियम आईएमए भवन में बुधवार को किया गया, जिसमें साइबर सुरक्षा, डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी, फेक कॉल, डेटा प्राइवेसी एवं सोशल मीडिया प्रोफेशनलिज़्म पर चर्चा की गई। मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर कानपुर रघुवीर लाल तथा विशिष्ट अतिथि डीसीपी मुख्यालय एसएम क़ासिम अबिदी ने साइबर अपराध के आधुनिक तरीकों से अवगत कराया तथा समाधान की रणनीतियों पर चर्चा की।
आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं आए हुए लोगों का स्वागत करते हुए इस महत्वपूर्ण विषय पर वर्कशॉप को समय की आवश्यकता बताया साथ उन्होंने चिकित्सकों के साथ हुए धोखाधड़ी के मामलों का उल्लेख करते हुए भविष्य में भी ऐसी उपयोगी व जागरूकता आधारित गतिविधियाँ जारी रखने की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन आईएमए कानपुर की सचिव डॉ. शालिनी मोहन ने किया। धन्यवाद वित्त सचिव डॉ. विशाल सिंह ने दिया।
विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार चिकित्सक कई बार ऑनलाइन कंसल्टेशन, डिजिटल पेमेंट, प्रोफेशनल डेटा एवं पहचान का उपयोग करके होने वाले साइबर अपराधों का शिकार हो सकते हैं। इससे बचाव के लिए सावधानियाँ और व्यावहारिक उपाय जानना जरूरी है। वास्तविक मामलों (Real Case Studies) के माध्यम से प्रतिभागियों को साइबर अपराध के आधुनिक तरीकों से अवगत कराया गया। उनके समाधान की रणनीतियों पर चर्चा की गई। उन्होंने ये भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में साइबर अपराधों में अत्यधिक वृद्धि हुई है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार डिजिटल फ्रॉड व ऑनलाइन ठगी के मामले करीब 70 प्रतिशत तक बढ़े हैं, जिनमें प्रोफेशनल व चिकित्सक वर्ग तेजी से निशाना बन रहे हैं। अपराधी तकनीक के साथ-साथ भ्रम, घबराहट, भरोसा व लालच जैसे मनोवैज्ञानिक दबाव बना कर लोगों को फंसाते हैं।
विशेषज्ञों ने चेताते हुए कहा कि आपका खाता बंद हो जाएगा, KYC अपडेट कराइए, आपके खिलाफ शिकायत दर्ज है, आपके नाम से पार्सल पकड़ा गया है, जैसे संदेश और कॉल वास्तव में सोच पर नियंत्रण कर तुरंत प्रतिक्रिया करवाने के लिए बनाए गए साइबर जाल हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ इंटरनेट का उपयोग पर्याप्त नहीं, बल्कि सुरक्षित डिजिटल व्यवहार, संदिग्ध लिंक/कॉल से सावधानी, डेटा गोपनीयता और सही समय पर उचित निर्णय लेना असली साइबर सुरक्षा है।
वक्ताओं ने बताया कि डिजिटल युग में चिकित्सक कई बार ऑनलाइन कंसल्टेशन, डिजिटल भुगतान, व्हाट्सएप, सोशल मीडिया पर बातचीत, प्रोफेशनल पहचान एवं डाटा के उपयोग के कारण साइबर अपराधों के निशाने पर आ जाते हैं। फेक कॉल, फिशिंग लिंक, OTP ट्रैप, स्क्रीन शेयरिंग एप्स, नकली भुगतान और पहचान चोरी जैसी घटनाओं से बचाव के लिए सावधानी जरूरी है।
वर्कशॉप में वास्तविक मामलों (Real Case Studies) के माध्यम से साइबर अपराध के बदलते तरीकों की जानकारी दी। साथ ही उनसे बचाव के व्यावहारिक उपाय भी समझाए गए। वक्ताओं ने यह भी बताया कि समय रहते जागरूकता, सत्यापन, डिजिटल सतर्कता और डेटा सुरक्षा की आदत ही सबसे प्रभावी सुरक्षा है।
आईएमए कानपुर के उपाध्यक्ष डॉ. राम सिंह वर्मा, डॉ. मनीष निगम व डॉ. देवज्योति देबरॉय, वित्त सचिव डॉ. विशाल सिंह, वयोवृद्ध चिकित्सक डॉ. आरएन चौरसिया, डॉ. एके श्रीवास्तव, डॉ. एसी अग्रवाल, डॉ. रीता मित्तल, पूर्व अध्यक्ष डॉ. संजय रस्तोगी, डॉ. यूसी सिन्हा, डॉ. किरन सिन्हा, डॉ. विकास मिश्रा डॉ. एसएस सिंघल, डॉ. गुल शगुफ्ता, डॉ. एमके सरावगी, डॉ. वीएन त्रिपाठी, डॉ. एसके गौतम, डॉ. अनीता गौतम, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, डॉ. गौतम दत्ता, डॉ. योगेश टंडन, डॉ. रजत मोहन डॉ. जलज सक्सेना, डॉ. मोहम्मद जमील, डॉ. रेनू सिंह गहलौत, मुस्कुराए कानपुर से डॉ. सुधांशु राय, ह्यूमन फाउंडेशन से अदिति शुक्ला एवं डॉ. कमल धवन मौजूद रहीं।



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