Himachal Pradesh: भगवान शिव ने यहां खोली थी तीसरी आंख

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मणिकर्ण में पार्वती नदी का खौलता पानी बना हुआ है पहेली।


प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ 



संपूर्ण हिमाचल प्रदेश अपने में धर्म, अध्यात्म और आस्था के अनूठे संगम को समेटे हुए है। इसलिए यहां का रोम रोम हिंदू  देवी-देवताओं की किदवंती से जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण में भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। वहीं, शेषनाग की हुंकार की वजह से यहाँ का पानी आजतक उबलता है। यह स्थान हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से 45 किमी दूर स्थित है।




हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में भगवान शिव को गिना जाता है। भगवान शिव को कोई रुद्र तो कोई भोलेनाथ के नाम से पुकारता है। माना जाता है कि भगवान शिव भक्त की भक्ति मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को कई और नामों से पुकारा जाता है जैसे- महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ आदि। 




वहीं, तंत्र साधना में भगवान शिव को भैरव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव से जुडी कई अलौकिक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। ऐसी ही एक कहानी हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण को लेकर भी प्रचलित है। यहां के स्थानीय बाशिंदे भी बताते और सुनाते हैं।




मणिकर्ण हिन्दू और सिख धर्मावलंबियों के लिए ऐतिहासिक धर्म स्थल है। मणिकर्ण से पार्वती नदी बहती है, जिसके एक ओर शिव मंदिर और दूसरी ओर गुरुनानक देव का ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यहाँ का खौलता पानी आज भी एक रहस्य बना हुआ है, जिसके बारे में अब तक विज्ञान भी कुछ नहीं बता सका है।




यहां प्रचलित कहानी के मुताबिक, कहा जाता है कि शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिए यहां एक दुर्लभ मणि फेंकी थी। इस वजह से यह चमत्कार हुआ और यह आज भी जारी है। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख खोली थी। दरअसल, यहां की नदी में क्रीड़ा करते हुए एक बार माता पार्वती के कान के आभूषण की मणि पानी में गिर गई और पालात लोक में चली गई थी। ऐसा होने पर भगवान शिव ने अपने गणों को मणि ढूंढने के लिए कहा था। बहुत ढूंढने पर भी शिव-गणों को मणि नहीं मिली। इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी।




तीसरा नेत्र खुलते ही उनके नेत्रों से नैना देवी प्रकट हुईं। इसलिए, यह जगह नैना देवी की जन्म भूमि मानी जाती है। नैना देवी ने पाताल में जाकर शेषनाग से मणि लौटाने को कहा तो शेषनाग ने भगवान शिव को वह मणि भेंट कर दी।

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