Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (03 सितंबर 2025)

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दिनांक : 03 सितंबर 2025

दिन : बुधवार  
   
विक्रम संवत् : 2082

अयन : दक्षिणायण

ऋतु : शरद

मास : भाद्रपद

पक्ष : शुक्ल

तिथि : एकादशी रात्रि 04:21 बजे तक तत्पश्चात द्वादशी  

नक्षत्र : पूर्वाषाढ़ा रात्रि 11:08 बजे तक  

योग : आयुष्मान शाम 04:17 बजे तक तत्पश्चात सौभाग्य 
करण- वणिज शाम 04:12 बजे तक तत्पश्चात विष्टि    
 
राहुकाल : प्रातः 07:23 बजे से 08:58 बजे तक  


सूर्योदय : भोर 05:48 बजे 
   
सूर्यास्त : संध्या 06:29 बजे 

दिशा शूल : उत्तर दिशा में

ब्रह्ममुहूर्त : प्रातः 04:18 बजे से प्रातः 05:03 बजे तक


अभिजीत मुहूर्त : नहीं है  


निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:46 बजे से रात्रि 12:32 बजे तक 


सूर्य राशि : सिंह  


चंद्रमा राशि : धनु  

     
बृहस्पति राशि – मिथुन 


व्रत पर्व विवरण : परिवर्तिनी एकादशी 


*एकादशी व्रत के लाभ*

03 सितम्बर 2025 बुधवार को प्रात: 03:53 बजे से 04 सितम्बर को प्रात: 04:21 बजे तक (यानि की 03 सितम्बर, बुधवार को पूरा दिन) एकादशी है।


 विशेष : 03 सितम्बर, बुधवार को एकादशी का व्रत उपवास रखें।


एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है, जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य है एकादशी के व्रत से होता है ।
 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।


 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। 

भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।

*एकादशी के दिन करने योग्य* 


 एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें... विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें। अगर घर में समस्या हों, तो समस्या शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के समस्या समाप्त होंगे।


*एकादशी के दिन ये सावधानी रहे*
 महीने में 15-15 दिन में  एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है, लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए।

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