प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क
बद्रीनाथ के निकट ही महाबली भीम ने संकट मोचन हनुमान जी का घमंड चकनाचूर कर दिया था। बद्रीनाथ धाम के पास ही स्थित है हनुमान चट्टी। बद्रीनाथ धाम में प्रवेश करते समय भक्त यहां दर्शन करने के लिए जरूर रुकते हैं।
महाभारत में एक बार भीम को अपनी ताकत का घमंड हो गया था। उस समय हनुमानजी ने भीम का अहंकार तोड़ा था। जहां भीम और हनुमानजी की भेंट हुई थी, वह जगह उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ के पास आज भी स्थित है। इस जगह को हनुमान चट्टी के नाम से जाना जाता है। हनुमान चट्टी बद्रीनाथ मंदिर से करीब 12 किमी, जोशी मठ से करीब 34 किमी दूरी पर स्थित है।
महाभारत में पांडव द्रौपदी के साथ वनवास का समय व्यतीत कर रहे थे। उस समय पांडव बद्रीनाथ क्षेत्र में ही रह रहे थे। एक दिन द्रौपदी ने देखा कि एक ब्रह्मकमल का फूल गंगा में बहता हुआ आ रहा है। तब द्रौपदी ने भीम से कुछ और ब्रह्मकमल फूल लेकर आने की बात कही। महाभारत में वनपर्व के अध्याय 146 के श्लोक 7 में लिखा है कि:-
यदि तेऽहं प्रिया पार्थ बहूनीमान्युपाहर।
तान्यहं नेतुमिच्छामि काम्यकं पुनराश्रमम्।।
अर्थ : महाबली भीम उस ब्रह्मकमल पुष्प को लेने के लिए बद्रीवन में प्रवेश करते हैं। उस समय रास्ते में एक वृद्ध वानर लेटा हुआ था। वानर की पूंछ से रास्ता रुका हुआ था। भीम उस वानर को रास्ते से हटने के लिए कहते हैं।
प्रसीद नास्ति मे शक्तिरूत्थातुं जरयानघ।
ममानुकम्पया त्वेतत् पुच्छमुत्सार्य गम्यताम्।।
अर्थ : तब वृद्ध वानर ने कहा कि बुढ़ापे की वजह से मुझमें उठने की शक्ति नहीं है। इसलिए मुझ पर दया करके इस पूंछ को तुम ही हटा दो और उसके बाद चले जाओ।
उसके बाद भीम ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह पूंछ को हिला तक नहीं सके। तब भीम को समझ में आ गया कि ये कोई सामान्य वानर नहीं है। तब भीम ने वृद्ध वानर से अपने असली रूप में आने की प्रार्थना की। तब हनुमानजी अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट हुए और भीम को घमंड से बचने की सीख भी दी।




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