Today's Panchang : जानें शनिवार का पंचांग और राहु काल

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दिनांक : 26 अगस्त, 2023


दिन : शनिवार


विक्रम संवत : 2080 (गुजरात - 2079)


शक संवत : 1945


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद ॠतु


मास : श्रावण


पक्ष : शुक्ल


तिथि : दशमी 27 अगस्त रात्रि 12:08 बजे तक तत्पश्चात एकादशी।


नक्षत्र : जेष्ठा सुबह 08:37 बजे तक तत्पश्चात मूल।


योग : विष्कंभ शाम 04:27 बजे तक तत्पश्चात प्रीति।


राहुकाल : सुबह 09:30 से सुबह 11:05 बजे तक।


सूर्योदय : प्रातः 06:21 बजे।


सूर्यास्त : संध्या 18:59 बजे।


दिशाशूल : पूर्व दिशा में।


व्रत पर्व विवरण


विशेष :- ब्रह्म पुराण' के 118वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण') 


शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')


हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)।


      

एकादशी व्रत के लाभ


26 अगस्त, शनिवार को रात्रि 12:09 बजे से 27 अगस्त, रविवार को रात्रि 09:32 बजे तक एकादशी है।


विशेष : 27 अगस्त, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें। जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। 

         


एकादशी के दिन करने योग्य


एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें। अगर विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।

         

एकादशी के दिन यह सावधानी जरूरी 


एकादशी महीने में 15-15 दिन में आती है, एकादशी के दिन रखा गया व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तो भी उनको चावल का त्याग करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक एकादशी के दिन जो चावल खाता है, उसे एक-एक चावल एक- एक कीड़ा खाने के समान पाप लगता है‌।

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