Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (16 अगस्त 2022)

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दिनांक : 16 अगस्त, दिन :  मंगलवार 


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन - दक्षिणायन


ऋतु - वर्षा ऋतु


मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)


पक्ष - कृष्ण


तिथि - पंचमी रात्रि 08:17  तक तत्पश्चात षष्ठी


नक्षत्र - रेवती रात्रि 09:07 तक तत्पश्चात अश्र्वनी


योग -  शूल रात्रि 09:50 तक तत्पश्चात गण्ड


राहुकाल -  शाम 03:56 से शाम 05:32 तक


सूर्योदय - 06:18


सूर्यास्त - 19:06


दिशाशूल - उत्तर  दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 12 अगस्त 2022 शुक्रवार 14.49 मिनट से 16 अगस्त 2022, मंगलवार को 21.05 मिनट पर पंचक का समापन


एकादशी


-23 अगस्त, 2022 को अजा एकादशी है। अजा एकादशी की तिथि 22 अगस्त को देर रात में 3 बजकर 35 मिनट पर शुरू होकर 23 अगस्त को सुबह में 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी।


प्रदोष


भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी, बुद्ध प्रदोष व्रत

बुधवार, 24 अगस्त 2022

24 अगस्त सुबह 08:31 बजे - 25 अगस्त सुबह 10:38 बजे


अमावस्या


भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या, शनि अमावस्या

शनिवार, 27 अगस्त 2022

अमावस्या प्रारंभ: 26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 बजे

अमावस्या समाप्त: 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:47 बजे


व्रत पर्व विवरण - नाग पंचमी (राजस्थान की परंपरा के अनुसार), रक्षा पंचमी (ओडिशा), मंगला गौरी पूजन, माधवदेव तिथि (असम)


विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

              

जन्माष्टमी


ज्योतिष के अनुसार, अगर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो माता लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। ये उपाय करने से मनोकामना की पूर्ति व धन प्राप्ति के योग भी बन सकते हैं।


जन्माष्टमी के अचूक 12 उपाय, 1 भी करेंगे तो होगा फायदा


1-आमदनी नहीं बढ़ रही है या नौकरी में प्रमोशन नहीं हो रहा है तो जन्माष्टमी पर 7 कन्याओं को घर बुलाकर खीर या सफेद मिठाई खिलाएं। इसके बाद लगातार पांच शुक्रवार तक सात कन्याओं को खीर या सफेद मिठाई बांटें।


2-जन्माष्टमी से शुरु कर 27 दिन लगातार नारियल व बादाम किसी कृष्ण मंदिर में चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है।


3-यदि पैसे की समस्या चल रही हो तो जन्माष्टमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद राधाकृष्ण मंदिर जाकर दर्शन करें व पीले फूलों की माला अर्पित  करें। इससे आपकी परेशानी कम हो सकती है।


4-सुख-समृद्धि पाने के लिए जन्माष्टमी पर पीले चंदन या केसर को गुलाब जल में मिलाकर माथे पर टीका अथवा बिंदी लगाएं। ऐसा रोज करें। इस उपाय से मन को शांति प्राप्ति होगी और जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनेंगे।


5-लक्ष्मी कृपा पाने के लिए जन्माष्टमी पर कहीं केले के पौधे लगा दें। बाद में उनकी नियमित देखभाल करते रहे। जब पौधे फल देने लगे तो  इसका दान करें, स्वयं न खाएं।


6-जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को पान का पत्ता भेंट करें और उसके बाद इस पत्ते पर रोली (कुमकुम) से श्री यंत्र लिखकर तिजोरी में रख लें। इस उपाय से धन वृद्धि के योग बन सकते हैं।


7-जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं।इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। इससे भगवान श्रीकृष्ण जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।


8-जन्माष्टमी पर दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इस उपाय से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। ये उपाय करने वाले की हर इच्छा पूरी हो सकती है।


9-कृष्ण मंदिर जाकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र की 11 माला जप करें। इस उपाय से आपकी हर समस्या का समाधान हो सकताहै।


मंत्र- क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि:परमात्मने प्रणत:क्लेशनाशाय गोविंदय नमो नम:


10-भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबरधारी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है पीले रंग के कपड़े पहनने वाला। जन्माष्टमी पर पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करने से भगवान श्रीकृष्ण व माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं।


11-जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनाते हैं।


12-जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और ॐ वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।

       

कृष्ण नाम के उच्चारण का फल


 ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार-

नाम्नां सहस्रं दिव्यानां त्रिरावृत्त्या चयत्फलम् ।।

एकावृत्त्या तु कृष्णस्य तत्फलं लभते नरः । कृष्णनाम्नः परं नाम न भूतं न भविष्यति ।।

सर्वेभ्यश्च परं नाम कृष्णेति वैदिका विदुः । कृष्ण कृष्णोति हे गोपि यस्तं स्मरति नित्यशः ।।

जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धरेच्च सः । कृष्णेति मङ्गलं नाम यस्य वाचि प्रवर्तते ।।

भस्मीभवन्ति सद्यस्तु महापातककोटयः । अश्वमेधसहस्रेभ्यः फलं कृष्णजपस्य च ।।

वरं तेभ्यः पुनर्जन्म नातो भक्तपुनर्भवः । सर्वेषामपि यज्ञानां लक्षाणि च व्रतानि च ।।

तीर्थस्नानानि सर्वाणि तपांस्यनशनानि च । वेदपाठसहस्राणि प्रादक्षिण्यं भुवः शतम् ।।

कृष्णनामजपस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् । (ब्रह्मवैवर्तपुराणम्, अध्यायः-१११)


विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है; वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते।


ब्रह्माण्डपुराण, मध्यम भाग, अध्याय 36 में कहा गया है :

महस्रनाम्नां पुण्यानां त्रिरावृत्त्या तु यत्फलम् ।

एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥


विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम (पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

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