Important : आएं जानें मंदिर में दर्शन से पहले घंटा बजाने का महात्म्य का

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मंदिर में घंटनाद करने से दूर होते हैं हमारे सभी मनोविकार

 
प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ


शास्त्रों के अनुसार मंदिर के प्रवेशद्वार पर लगे घंटे का एक विशेष महत्व है। मंदिर में प्रवेश करते वक्त श्रद्धालु पहले घंटनाद करता है और फिर मंदिर में प्रवेश करता है।


वैज्ञानिक पहलू


इसका एक वैज्ञानिक कारण है की जब घंटे के नीचे खड़े होकर सर ऊंचा कर हाथ से घंटा बजाते हैं। तब एक प्रचंड घंटनाद होता है। वह ध्वनि त्वरित गति से अपने उद्गम स्थान से दूर जाती है। ध्वनि की यही शक्ति, कंपन के माध्यम से वातावरण में फैल जाती है। उस घंटे के नीचे खड़े व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है और शरीर से ध्वनि का नाद श्रद्धालु के सहस्रार चक्र (ब्रह्मरंध्र-सिर के ठीक ऊपर) में प्रवेश कर शरीरमार्ग से भूमि में प्रवेश करती है।


यह ध्वनि प्रवेश करते समय श्रद्धालु के मन-मस्तिष्क में चलने वाले असंख्य विचार, चिंता, तनाव, उदासी, मनोविकार आदि इन समस्त नकारात्मक विचारों को अपने साथ ले जाती है। निर्विकार अवस्था में परमेश्वर के सामने जाते हैं। तब भक्त शुद्धता पूर्वक परमेश्वर को समर्पित होता है।


घंटनाद की तरंगों की अत्यंत तीव्रता के आघात से आसपास के वातावरण व हमारे शरीर के सूक्ष्म कीटाणुओं का नाश होता है जिससे वातावरण में शुद्धता रहती है, जिससे हमें स्वास्थ्य लाभ होता है। इसलिए मंदिर में प्रवेश करते समय घंटनाद अवश्य करें और थोड़ी देर घंटे के नीचे खड़े रहकर घंटनाद  आनंद अवश्य लें, जिससे चिंता मुक्त हो जाएंगे।


ईश्वर की दिव्य ऊर्जा व मंदिर गर्भ की दिव्य ऊर्जा शक्ति मस्तिष्क ग्रहण करेगा। आप प्रसन्न रहेंगे और शांति मिलेगी। अतः आत्मज्ञान, आत्म जागरण, और दिव्य जीवन के परम आनंद की अनुभूति के लिए जब मंदिर जाएं तो घंटनाद अवश्य करें।

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