Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (17 अक्टूबर 2021)

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दिनांक: 17 अक्टूबर, दिन : रविवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : अश्विन


 पक्ष : शुक्ल


तिथि - द्वादशी शाम 05:39 तक तत्पश्चात त्रयोदशी


नक्षत्र - शतभिषा सुबह 09:53 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्ररपद


योग - बृद्धि रात्रि 09:40 तक तत्पश्चात ध्रुव


राहुकाल - शाम 04:46 से शाम 06:13 तक


सूर्योदय - 06:36


सूर्यास्त - 18:11


दिशाशूल - पश्चिम दिशा में            


पंचक


12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक। 


09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।


एकादशी 


01 नवंबर : रमा एकादशी


14 नवंबर : देवुत्थान एकादशी


30 नवंबर : उत्पन्ना एकादशी


14 दिसंबर : मोक्षदा एकादशी


30 दिसंबर : सफला एकादशी


प्रदोष


02 नवंबर : भौम प्रदोष


16 नवंबर : भौम प्रदोष


02 दिसंबर : प्रदोष व्रत


31 दिसंबर : प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


18 नवंबर : कार्तिक पूर्णिमा


18 दिसंबर : मार्गशीर्ष पूर्णिमा


अमावस्या


04 नवम्बर : कार्तिक अमावस्या


04 दिसम्बर : मार्गशीर्ष अमावस्या


व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत, संक्रांति (पुण्यकाल सुबह 07:13 से सूर्यास्त तक)


विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


 व्यापार में वृद्धि हेतु


रविवार को गंगाजल लेकर उसमें निहारते हुए २१ बार गुरुमंत्र जपें, गुरुमंत्र नहीं लिया हो तो गायत्री मंत्र जपें | फिर इस जल को व्यापार-स्थल पर जमीन एवं सभी दीवारों पर छिडक दें | ऐसा लगातार ७ रविवार करें, व्यापार में वृद्धि होगी |


करोडो गौ दान का फल


सात धामों में द्वारका धाम । मोक्षदायी नगरियों में


अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवन्तिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायका:||और पश्चिम की तरफ सिर करके जो  द्वारका का सुमिरन करते हुये स्नान करता है तो उसे करोडो गोदान फल मिलता है |


शरद पूनमः चन्द्र-दर्शन शुभ


इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक-आध मिनट आँखें पटपटाना। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी, फिर छत पर या मैदान में विद्युत का कुचालक आसन बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं।


जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें।


इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।


शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें।


विशेष - 19 अक्टूबर, मंगलवार को शरद पूर्णिमा (खीर चन्द्रकिरणों में रखें), 20 अक्टूबर, बुधवार को शरद पूर्णिमा (व्रत हेतु)

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