Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग एवं पर्व-त्योहार (22 अप्रैल, 2021)

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दिनांक : 22 अप्रैल, दिन : गुरुवार

विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)

शक संवत् : 1943

अयन : उत्तरायण

ऋतु : ग्रीष्म

मास : चैत्र

पक्ष : शुक्ल

तिथि : दशमी रात्रि 11:35 तक तत्पश्चात एकादशी

नक्षत्र : अश्लेशा सुबह तक 08:15 तत्पश्चात मघा

योग : गण्ड शाम 05:02 तक तत्पश्चात वृद्धि

राहुकाल : दोपहर 2:13 बजे से शाम 03:49 तक

सूर्योदय : सुबह 06:15 बजे

सूर्यास्त : शाम 18:59 बजे

दिशाशूल : दक्षिण दिशा में


पंचक

4 मई रात्रि 8.41 बजे से 9 मई सायं 5.30 बजे तक

1 जून रात्रि 3.57 बजे से 5 जून रात्रि 11.27 बजे तक

28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक


व्रत पर्व  

धर्मराज दशमी

विष्णु धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया है कि जिनके परिवार में ज्यादा बीमारी ,जल्दी-जल्दी किसी की मृत्यु हो जाती है वे लोग शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन (दशमी तिथि के स्वामी यमराज है मृत्यु के देवता।) यानी 22 अप्रैल 2021 गुरुवार को भगवान धर्मराज यमराज का मानसिक पूजन कर और हो सके तो घी की आहुति दें।

एक दिन पहले से हवन की छोटी सी व्यवस्था कर लेना घी से आहुति डाले इससे दीर्घायु, आरोग्य और ऐश्वर्य तीनों की वृद्धि होती है विष्णु धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया है | आहुति डालते समय ये मंत्र बोले :-

ध्यान रखे जिसके घर में तकलीफें हैं वो जरुर आहुति डाले और डालते समय स्वाहा बोले और जो आहुति न डाले तो वो नम: बोलें।

ॐ यमाय नम:

ॐ धर्मराजाय नम:

ॐ मृत्यवे नम:

ॐ अन्तकाय नम:

ॐ कालाय नम:

ये पाँच मंत्र बोले ज्यादा देर तक आहुति डाले तो भी अच्छा है।


एकादशी व्रत के लाभ

22 अप्रैल 2021 गुरुवार को रात्रि 11:36 से 23 अप्रैल, शुक्रवार को रात्रि 09:47 तक एकादशी है ।

विशेष - 23 अप्रैल, शुक्रवार को एकादशी का व्रत  रखे।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।

जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है,उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्ति होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
          
अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति कि स्थिति खराब है तो आप बृहस्पतिवार के दिन मंदिर में केसर और चने की दाल का दान करें इससे आपको जरुर लाभ होगा। इसी के साथ अगर आप माथे पर तिलक लगाते हैं तो यह भी आपके लिए लाभदायक होगा।

एकादशी के दिन करने योग्य

एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें  विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
 
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे

महीने में १५-१५ दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो  चावल खाता है तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा

व्रत पर्व विवरण

धर्मराज दशमी

23 अप्रैल, शुक्रवार : कामदा एकादशी

24 अप्रैल : शनि प्रदोष

26 अप्रैल, सोमवार : चैत्र पूर्णिमा

07 मई, शुक्रवार : वरुथिनी एकादशी

08 मई, शनिवार : शनि प्रदोष

11 मई, मंगलवार : वैशाख अमावस्या

23 मई, रविवार : मोहिनी एकादशी

24 मई, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत

26 मई, बुधवार : बुद्ध पूर्णिमा

06 जून, रविवार : अपरा एकादशी

07 जून, सोमवार : सोम प्रदोष व्रत

10 जून, बृहस्पतिवार : ज्येष्ठ अमावस्या

21 जून, सोमवार : निर्जला एकादशी

22 जून : भौम प्रदोष

28 जून प्रात: 12.57 बजे से 3 जुलाई प्रात: 6.15 बजे तक एकादशी

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