Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग और व्रत-त्योहार (06 अप्रैल 2021)

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दिनांक 06 अप्रैल 2021, दिन : मंगलवार


विक्रम संवत : 2077, शक संवत : 1942


अयन : उत्तरायण


ऋतु : वसंत


मास : चैत्र (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)


पक्ष : कृष्ण


तिथि : दशमी 07 अप्रैल रात्रि 02:09 बजे तक तत्पश्चात एकादशी


नक्षत्र : श्रवण 07 अप्रैल रात्रि 02:35 बजे तक तत्पश्चात धनिष्ठा


योग : सिद्ध शाम 03:30 बजे तक तत्पश्चात साध्य


राहुकाल - शाम 03:48 बजे से शाम 05:21 बजे तक


सूर्योदय : प्रातः 06:28 बजे, सूर्यास्त : प्रातः 18:53 बजे


दिशाशूल - उत्तर दिशा में


पंचक


7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक


व्रत-त्योहार विवरण


07 अप्रैल : पापमोचिनी एकादशी


09 अप्रैल : प्रदोष व्रत


23 अप्रैल : कामदा एकादशी


24 अप्रैल : शनि प्रदोष व्रत


व्रत-उपवास महात्म्य


ब्रह्मलीन भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज का प्राकट्य दिवस


विशेष 

     

हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए।


एकादशी व्रत के लाभ


07 अप्रैल 2021 बुधवार को रात्रि 02:10 बजे से 08 अप्रैल, गुरुवार को रात्रि 02:29 बजे तक (यानी 07 अप्रैल, बुधवार को पूरा दिन) एकादशी है।


07 अप्रैल, बुधवार को एकादशी का व्रत रखें। एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है। जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।


एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।


परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीश, राजा गाधी आदि ने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ।


भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किए हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।

         

एकादशी के दिन करने योग्य

एकादशी को दिया जला कर विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें ..विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें। अगर घर में झगड़े होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।


एकादशी के दिन यह सावधानी जरूरी


महीने में 15-15 दिन में एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सकें तो भी उनको चावल का त्याग करना चाहिए। एकादशी के दिन जो चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।

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