Farmers Protest Against Laws : सरकार की सख्ती से पलटी बाजी, किसानों की घर वापसी थमी

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प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, सोनीपत/नई दिल्ली


ट्रैक्टर रैली के दौरान गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हंगामा एवं लालकिला पर धार्मिक झंडा फहराने से मायूस किसान घर लौटने लगे थे। इस बीच, केंद्र सरकार की सख्ती और किसान नेताओं की भावुक अपील से सारी बाजी ही पलट दी है। किसानों की घर वापसी थम गई है, सभी ने फिर से दिल्ली का रुख कर लिया है। दिल्ल की सीमाओं पर किसान दोबारा पहुंचने लगे हैं। हरियाणा के कई जिलों से शुक्रवार को किसान गाजीपुर, कुंडली व टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे, जिनमें सबसे ज्यादा किसान गाजीपुर व कुंडली पहुंचे हैं। (Farmers Protest Against Laws)



वहीं पंजाब के किसान भी बॉर्डर पर पहुंचने लगे हैं। इसी तरह केवल कुंडली बॉर्डर में एक ही दिन में 10 हजार किसान पहुंच गए हैं। किसान नेता लगातार यह संदेश देने में लगे हैं कि गणतंत्र दिवस पर हुए बवाल की जिम्मेदार सरकार है और उसने पूरा षड्यंत्र रचा था। इसके साथ ही युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील भी किसान नेता लगातार कर रहे हैं। (Farmers Protest Against Laws)


कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने के दौरान बवाल व लालकिला पर धार्मिक झंडा फहराए जाने के बाद जिस तरह से किसानों की लगातार घर वापसी हो रही थी, उसको रोकने के लिए किसान नेता हाथ तक जोड़ रहे थे लेकिन बावजूद इसके किसान नहीं रुक रहे थे। आंदोलन का समर्थन करने वाली खाप के सुर भी विरोधी होने लगे थे। यह देख सरकार ने सख्ती बरतनी शुरू की। (Farmers Protest Against Laws)


उधर, किसान नेताओं की भावनात्मक अपील और गाजीपुर बॉर्डर राकेश टिकैत के आंसुओं ने एक बार फिर से दांव पलट दिया है। इसका पूरा असर गुरुवार रात से दिखना शुरू हो गया और हरियाणा के सोनीपत, जींद, चरखी दादरी, रोहतक, पानीपत, करनाल, यमुनानगर, सिरसा समेत अन्य जगहों के किसान गाजीपुर व कुंडली बॉर्डर पर दोबारा पहुंचने शुरू हो गए। जहां पहले किसान गाजीपुर गए, वहीं शुक्रवार को कुंडली बॉर्डर पर किसान आने लगे हैं। (Farmers Protest Against Laws)


जहां कुंडली बॉर्डर पर गुरुवार तक करीब 20 हजार किसान रह गए थे, वहीं शुक्रवार को वहां करीब दस हजार किसान बढ़ गए। जिससे धरनास्थल पर दोबारा से चहल-पहल शुरू हो गई है। इस तरह गणतंत्र दिवस के बाद किसानों के घर लौटने से किसान नेताओं के चेहरे पर दिख रही मायूसी भी ट्रैक्टर-ट्रालियां वापस आने से लौट आई है। किसान साफ कह रहे है कि वह कृषि रद्द होने के बाद ही वापस जाएंगे। (Farmers Protest Against Laws)


किसानों का केवल एक ही मकसद है कि कृषि कानूनों को रद्द कराया जाए। किसान ही सबसे बड़ा देशभक्त है और किसानों को देशद्रोही बताया जा रहा है। इस तरह की बात किसान सहन नहीं करेंगे और अब लगातार गांवों से किसान धरनास्थल पर पहुंचने शुरू हो गए हैं। सरकार पर दबाव बनाकर कानून रद्द कराए जाएंगे।  

  • सुरेश, किसान, सोनीपत, हरियाणा।


यहां से कुछ किसान वापस चले गए थे लेकिन अब दोबारा से वापस आने लगे है। किसानों को पता चल गया है कि दिल्ली के बवाल की सरकार ने साजिश रची थी। अब सबकुछ भुलाकर हजारों किसान पंजाब से वापस आने शुरू हो गए हैं। कृषि कानून रद्द कराने के बाद ही किसान यहां से वापस जाएंगे।

  • गुरजोत सिंह, किसान, खन्ना, पंजाब।


हरियाणा से लगातार ट्रैक्टर-ट्राली में किसान आने शुरू हो गए हैं। पंजाब के किसान भी दोबारा आने लगे हैं लेकिन हरियाणा के किसान सबसे ज्यादा आ रहे हैं। जिस तरह का षड्यंत्र आंदोलन को खत्म करने का रचा गया था, वह अब नाकाम हो गया है। किसान ही सबसे बड़ा राष्ट्रवादी हैं और तिरंगे का सम्मान ही किसान व उसके बेटे करते हैं। यह हर किसी को पता चल गया है और किसान लगातार बॉर्डर पर वापस आने शुरू हो गए हैं।

  • बलबीर सिंह राजेवाल, सदस्य, संयुक्त किसान मोर्चा।



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